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Wednesday, 22 May 2013

एक दोहा सिर्फ़ आपके लिये ००००००००००

एक दोहा सिर्फ़ आपके लिये ००००००००००
माना तुमने पा लिया , निज कर से आकाश ।
लेकिन पा न सके उन्हें ,जो बैठे थे पास ।।
०००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान होरी


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2 comments:

  1. जो बैठे थॆ पास, उन्हें कैसे पाओगे
    भरके दिलमें प्यार,सबको पा जाओगे

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